हिंदी साहित्य
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Dr. Hedgewar-Shri Guruji Prashnottari
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विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार अपने सामने बचपन से ही एक उच्चतम ध्येय रखकर काम करते रहे। संघ-कार्य का जैसे-जैसे विस्तार हुआ, समाज में देशभक्ति, आत्मविश्वास, एकता की भावना और राष्ट्रीय गौरव-बोध जैसे गुणों की वृद्धि हुई है। डॉ. हेडगेवार..
Main Napoleon Hill Bol Raha Hoon
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महान् विचारक और उनके प्रेरक विचार सदा से ही मानव सभ्यता के दिग्दर्शक रहे हैं। इनके अनुभूत मौलिक चिंतन ने समाज और राष्ट्र-निर्माण की दिशा में सदैव ही महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। आज से वर्षों पहले इनके मुख से निकली वाणी आज भी उतनी ही प्रासंगिक और शाश्वत है, जितनी तब थी।दुनिया भर में महान् विचारकों की ..
अस्मितामूलक साहित...
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इस पुस्तक में.... | हिन्दी साहित्य में उत्तर आधुनिकता के रूप में विमर्शों ने जोरदार उपस्थिति दर्ज कर यथास्थितिवादी साहित्य की जकड़ से लेखनी को बाहर निकाला। स्त्री विमर्श, दलित विमर्श, आदिवासी विमर्श, किन्नर साहित्य, आदि अस्मितामूलक विमर्शों ने हिन्दी साहित्य को व्यापक फलक पर पहुंचा दिया पर यह भी सत्..
गाँधी वैचारिकी
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यह पुस्तक गांधी जी के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व की मीमांसा करती हुयी दिखायी देती है। इस पुस्तक में गांधी जी के प्रारंभिक जीवन से लेकर भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति तक उनके द्वारा किये गये समस्त आंदोलनों का विशद वर्णन किया गया है। पुस्तक में कुछ रोमांचकारी अध्याय जैसे गांधी की मृत्यु, गांधी टोपी, खादी आं..
नाथपन्थ और योगवाशि...
₹280
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नाथपन्थ और योगवासिष्ठ : आस्तिक दर्शनों के आलोक में " पुस्तक में उन सिद्धान्तों एवम विचारों को प्रस्तुत किया गया है जो नाथपन्थ और योगवासिष्ठ में समान रूप से विद्यमान हैं। यथा हठयोग, शिवतत्त्व, चित्ति इत्यादि अवधारणाएं दोनों में समान रूप से उपस्थित है। प्रस्तुत पुस्तक को आस्तिक दर्शनों के परिप्रेक्ष्य..
निबन्ध षटकम्
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काव्यशास्त्र में छः सम्प्रदायों का अत्यधिक महत्व है, काव्य के केंद्र में अलङ्कार, रस, औचित्य, वक्रोक्ति, रीति और ध्वनि को प्रतिष्ठापित करने के लिए विभिन्न काव्यशास्त्री अनेकशः सम्प्रदायों का समर्थन करते हैं। निबन्ध षट्कम के लेखन में काव्यशास्त्रियों के दार्शनिक पृष्ठभूमि और पूर्वाग्रह को दृष्टिगत रख..
प्रकाशपुंज महात्म...
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प्रस्तुत पुस्तक को सात अध्यायों में विभाजित किया गया है। इन सात अध्यायों के माध्यम से उनके व्यक्तित्व के ऐतिहासिक परिपेक्ष को समझाने का प्रयास किया गया है तथा भारतीय इतिहास में एक सत्यशोधक की भाँति उनकी महत्ता जो इतिहास निर्माण की प्रक्रिया में एक आवश्यक तत्व के रूप में है, उसको भी स्पष्ट करने का प्..
प्रगतिशील स्री विम...
₹640
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यह पुस्तक स्त्री के सामाजार्थिक राजनीतिक एवं वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यों में केंद्रित है।यह पुस्तक महिलाओं के समक्ष बर्तमान में उपस्थित नयी चुनौतियों पर बहस करती हुयी उसके मानवाधिकार की गंभीर परिचर्चा करती है।पुस्तक में जहां तलाक और किराये की कोख जैसे मुद्दे का स्पष्ट विश्लेषण है वहीं महिला आरक्ष..
भारतीय अम्बेडकरवा...
₹635
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'भारतीय अम्बेडकरवादी कहानी साहित्य' यह मेरी तीसरी पुस्तक हैं। इस पुस्तक में मैंने दलित साहित्य के स्वरूप पर प्रकाश डाला है। दलित साहित्य को लेकर जितने भी विवाद खड़े हुए थे उन सब का समाधाान इस पुस्तक में मिल सकता है। दलित साहित्यकार और दलितेत्तर साहित्यकारों में मूल क्या अंतर है? दलित साहित्य किस तरह..
समकालीन सन्दर्भ और...
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प्रस्तुत संग्रह ‘समकालीन सन्दर्भ और मध्यकालीन हिन्दी कविता अनेक परिवर्तनों, परिवर्धनों, सुझावों से परिपूर्ण है। अध्ययन व लेखन के क्षेत्र में कोई भी प्रयास अंतिम होने का दावा नहीं रखता। मानव की कुछ सीमायें है और वे मेरे साथ भी है। जो कुछ लिखा जा रहा है, वह सब समकालीन नहीं है। समकालीनता एक जीवन दृष्टि..
स्री विमर्श में नय...
₹880
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यह पुस्तक स्त्री पक्ष पर केंद्रित है। इसमें स्त्रियों के समक्ष उपस्थित सामाजिक ,सांस्कृतिक,राजनीतिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक समस्याओं का यथार्थवादी विश्लेषण किया गया है ।यह पुस्तक स्त्री संदर्भों में विशेष मायने इसलिये रखती है क्योंकि इसमें हिंदी साहित्य में रूपांकित स्त्री पक्षों को महत्वपूर्ण स्थान प..
हिन्दी आलोचना और ड...
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हिंदी की प्रगतिवादी आलोचना में डॉ. नामवर सिंह की विशिष्ट भूमिका को कोई नकार नहीं पाता । जितने भी प्रगतिवादी आलोचना रहे हैं या हैं उनमें डॉ. सिंह की एक विशिष्ट छवि रही है । इस विशिष्टता को निखारने में डॉ. सिंह की गहरी साहित्यिक समझ, व्याख्या-विवेचना का मौलिक सोच और गहरा समीक्षात्मक विवेक आदि की समवेत..